बुरहानपुर। रविवार को विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने मुख्यमंत्री डेयरी प्लस कार्यक्रम अंतर्गत किया। इस दौरान श्रीमती चिटनिस ने पशुपालकों, किसानों और ग्रामीणों से संवाद किया। बुरहानपुर जिले के 10 हितग्राहियों को 2-2 मुर्रा भैंसों प्रदाय की गई। इस अवसर पर कलेक्टर हर्षसिंह, बलराज नावानी, रूद्रेश्वर एंडोले, शिवकुमार पासी, पशुपालन चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डॉ.छतसिंह डाबर सहित जनप्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी व हितग्राही उपस्थित रहे।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि जिले के सभी पशुपालक, उन्नत नस्ल का पशुपालन कर, दुग्ध उत्पादन बढ़ाए। पशुओं में नस्ल सुधार के लिए पशुपालन विभाग की कृत्रिम गर्भाधान योजना एवं सेक्स सार्टेड सिमन, योजना का लाभ लेकर, अपने पशुओं में नस्ल सुधार करें। सभी पशुपालक अपने के.सी.सी. बनवाए और ब्याज मुक्त ऋण प्राप्त कर दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ाए। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि प्रदेश में किसानों की आय दोगुनी करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें पशुपालन गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रदेश में पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। पशुपालन से किसानों की आय बढ़ेगी और वे आत्मनिर्भर होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का यह हमारा संकल्प है कि प्रदेश में दुग्ध उत्पादन निरंतर बढ़े और वर्ष 2028 तक प्रदेश को देश की ‘‘मिल्क कैपिटल‘‘ बनाया जाए। गो-संरक्षण और गो-संवर्धन सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि मुख्यमंत्री डेयरी प्लस कार्यक्रम मध्यप्रदेश सरकार की एक योजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य दूध के व्यवसाय से लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इस योजना के तहत पात्र परिवारों को पात्रतानुसार दो भैंसें प्रदान की जाती हैं, जिसकी लागत का आधा हिस्सा सरकार वहन करती है और बाकी आधा बैंक ऋण के रूप में दिया जाता है। श्रीमती चिटनिस ने बताया कि बुरहानपुर जिले का टारगेट बढ़ाने हेतु मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव से चर्चा की गई है।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि पशुपालकों और आम नागरिकों के लिए स्व-रोजगार का बड़ा अवसर उपलब्ध कराने एवं प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना क्रियान्वित की जा रही है। सब्सिडी पर मुर्रा नस्ल की भैंस मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजनांतर्गत लाभार्थियों को भारत में सर्वाधिक दूध उत्पादन वाली मुर्रा नस्ल की दो भैंसें प्रदान की जाती हैं, जो पशुपालकों में अत्यधिक लोकप्रिय नस्ल हैं। श्रीमती चिटनिस ने बताया कि विशेषज्ञों के अनुसार दो मुर्रा भैंसों से रोजाना 18 से 20 लीटर तक दूध मिल सकता है, जिससे प्रतिदिन अच्छी आय हो सकती है। खास बात यह है कि राज्य शासन इन भैंसों की कुल लागत का सामान्य वर्ग के पशुपालक के लिए 50 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के पशुपालकों के लिए 75 प्रतिशत हिस्सा स्वयं वहन करती है। इससे आम नागरिकों को बहुत कम लागत में डेयरी व्यवसाय शुरू करने का अवसर मिलता है।
*पशु पालन को बढ़ावा देने डेढ़ लाख की भैंस आधे दाम में*
यदि कोई व्यक्ति सामान्य वर्ग से है, तो उसे पूर्ण रूप से भरे आवेदन के साथ 1 लाख 47 हजार 500 रूपए एवं अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लाभार्थियों को 73 हजार 700 रूपए बैंक ड्राफ्ट के द्वारा जमा करने होंगे। शेष राशि शासन द्वारा सब्सिडी के रूप में वहन की जाएगी।
*हितग्राही ले सकेंगे पसंद की भैंस*
आवेदन स्वीकृत होने के उपरान्त पशुपालक विभागीय प्रतिनिधि के साथ स्वयं हरियाणा पंजाब या उत्तर प्रदेश जाकर अपनी पसंद की भैंस का चयन कर क्रय करेंगे। भ्रमण हेतु योजना में राशि का प्रावधान है। बिना किसान हुए भी उठा सकते हैं योजना का लाभइस योजना की एक और बड़ी विशेषता यह है कि इसका लाभ केवल किसान ही नहीं, बल्कि कोई भी आम नागरिक जो की मध्यप्रदेश का नागरिक हो, 21 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग का हो योजना का लाभ उठा सकता है। आवेदन के लिए व्यक्ति को अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय जाना होगा, जहां योजना से संबंधित फॉर्म भर सकते हैं।