क्रूर औरंगजेब की अधूरी प्रेम कहानी, कौन थी वो वेश्या, जिसके प्यार में था पागल?

मुगल सम्राट औरंगजेब इतिहास के सबसे क्रूरतम शासकों में से एक है. सत्ता के भूखे औरंगजेब के कृत्य अत्यंत क्रूर थे. वह इतिहास का सबसे बड़ा खलनायक है. उनके समकालीन इतिहासकारों ने उनकी नीचता, कट्टरता, अहंकार, अक्षमता, कुटिलता, क्रूरता और धूर्तता के बारे में विस्तार से लिखा है.

लेकिन उसके इस अंधेरे पक्ष के भीतर एक मार्मिक प्रेम कहानी छिपी हुई है. औरंगजेब ने तीन शादियां की थीं. लेकिन उनका पहला प्यार एक वेश्या थी. वह उसे पसंद आया. वह उसकी सुन्दरता पर मोहित हो गया. उसे उसके तौर-तरीके, उसकी चुलबुली हरकतें पसंद थीं. लेकिन यह प्रेम कहानी अधूरी रह गई.

औरंगजेब का पहला प्यार तब हुआ जब वह बादशाह नहीं बना था. उस समय वह सेना में भर्ती के लिए आवेदन कर रहे थे. वह कोर्ट और मैदान से चीजें सीख रहे थे. उस समय उनका राजा बनने का कोई सपना नहीं था. एक ओर संघर्ष था, तो दूसरी ओर उसे एक वेश्या से प्रेम हो गया. लेकिन उसने उसे कभी स्वीकार नहीं किया. हमेशा मना कर दिया. फिर भी औरंगजेब का उसके प्रति प्रेम तनिक भी कम नहीं हुआ. वह उससे बहुत प्यार करता था.

वह वेश्या कौन थी?

औरंगजेब अपनी जवानी में महलों की दहलीजें तोड़ देता था. उस स्थान पर वेश्याएं अपनी आकर्षक भाव-भंगिमाओं से दर्शकों को आनंदित करती थीं. वे अपने हाव-भाव और नज़रों से अमीरों को पागल कर देते थे. अपनी हिरणी सी चाल और अपनी मुस्कान से वह उसके दिल में घर कर लेगी. इन रीति-रिवाजों से प्रभावित होकर कई लोग इन हवेलियों पर बहुत सारा पैसा खर्च करते थे. शाम होते ही उनके कदम इधर मुड़ जाते.

ऐसे ही एक विशेष महल में औरंगजेब की मुलाकात वेश्या हीराबाई ज़ैनाबादी से हुई थी. वह ईसाई थी. वह अत्यंत आकर्षक, अत्यंत सुन्दर एवं मोहक थी. उसकी आवाज़ सोने जैसी थी. बहुत से लोग उसकी आवाज से मोहित हो गए. लेकिन वह औरंगजेब के मामा की खास वेश्या थी. वह हीराबाई के प्रति अपने मोह से मुक्त नहीं हो सका.

दिल्ली दरबार में चर्चा थी कि दारा शिकोह बादशाह बनेगा. वह शाहजहाँ का प्रिय पुत्र था. औरंगजेब दिल्ली की राजनीति से घृणा करता था. वह इस बात से बहुत निराश था कि उसे दक्कन पर आक्रमण करने के लिए वापस भेज दिया गया. इस तरह हीराबाई के रूप में उन्हें अपने मन के लिए औषधि मिली. उसे लगने लगा कि उसे दक्कन में हीरा मिल गया है. औरंगजेब अपने मामाओं का प्रिय था. बुरहानपुर और ज़ैनाबाद में उनका आना-जाना बढ़ गया.

यह पहली बैठक थी, फिर परीक्षा.

इस क्षेत्र का हिरण पार्क उस समय वेश्याओं के लिए प्रसिद्ध था. यहीं पर उनकी पहली मुलाकात हीराबाई से हुई. वह अन्य मित्रों के साथ इस बगीचे में आई थी. वहाँ उन्होंने बगीचे से आम तोड़े. फिर हीराबाई ने इतना सुन्दर गीत गाया कि पशु-पक्षी भी सुनने के लिए रुक गये. हीराबाई की गायन प्रतिभा, जादुई सौंदर्य और मनमोहक आवाज के सामने औरंगजेब अपना दिमाग खो बैठा.

जब दरबारी और प्रशासनिक काम खत्म हो गए तो वह सबसे पहले हीराबाई के पास आने लगे. किसी न किसी कारण से उसने उसके साथ यौन संबंध बनाना शुरू कर दिया. वह केवल हीराबाई की संगति की लालसा करने लगा. हीराबाई एक मध्यम आयु की युवती थी. शुरू में तो उसने औरंगजेब की बात पर ध्यान नहीं दिया. उसने उसके प्यार की परीक्षा ली. उसने उसे अस्वीकार कर दिया. लेकिन औरंगजेब ने उसे नहीं छोड़ा.

हीराबाई हमेशा के लिए चली गई

एक दिन उसने औरंगजेब को शराब का गिलास दिया और उसे पीने के लिए कहा. औरंगजेब को शराब से घृणा थी. लेकिन अपनी प्रेमिका के लिए उसने शराब का गिलास मुँह से लगा लिया. उस समय हीराबाई ने गिलास को दूर धकेल दिया और उसके प्यार को स्वीकार कर लिया. वे दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे. इस प्रेम की चर्चा बुरहानपुर से सीधे दिल्ली तक पहुंच गई. यह खबर शाहजहाँ के कानों तक पहुँची. लेकिन बाद में एक बीमारी हुई और हीराबाई बच नहीं सकीं. औरंगजेब उसके लिए एक हकीम और एक चिकित्सक लेकर आया. लेकिन वह उसे बचा नहीं सका. उसकी प्रेम कहानी रुक गई. लेकिन उसकी क्रूरता और अमानवीयता उसकी मृत्यु तक कभी समाप्त नहीं हुई.