भोपाल। मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार, गैर मान्यता प्राप्त यानि झोलाछाप डॉक्टरों को लेकर सख्त हो गई है,
मोहन सरकार ने प्रदेश के समस्त कलेक्टर और जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHO) को झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया है. साथ ही फर्जी डॉक्टरों को नियंत्रित कर आवश्यक कार्रवाई करने निर्देश दिया गया है.
अब झोलाछाप चिकित्सकों के संस्थानों पर तत्काल प्रतिबंधित किया जाएगा. कलेक्टर और CMHO को ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों के बारे में बताए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं. साथ उन्हें ग्रामीण इलाकों में पहुंचकर सरकारी सुविधाओं के बारे में जानकारी देना होगा।
गौरतलब है कि बिना उपयुक्त चिकित्सकीय ज्ञान के अनुचित उपचार, रोगियों के लिए प्राणघातक सिद्ध हो सकता है। ऐसे कई प्रकरण उजागर हुए हैं। जिसमें झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा गलत औषधियों के उपयोग करने से रोगियों की मृत्यु हुई है। पत्र में कहा गया है कि चूंकि जिले में निजी क्लीनिक्स और निजी अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा किया जाता है इसलिए गैरकानूनी तरीके से चिकित्सा कर रहे अपात्र व्यक्तियों पर कार्यवाही भी सीएमएचओ करें और हर महीने की जाने वाली कार्यवाही से शासन को अवगत कराएं।
ग्रामीण इलाकों में भी बंद होंगे अवैध क्लिनिक
ऐसे अवैध क्लिनिक ग्रामीण इलाकों में ज्यादा प्रचलित हैं. इस आदेश के बाद ऐसे सभी क्लिनिकों पर बैन लगा दिया गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि जन समुदाय में ऐसे अपात्र व्यक्तियों से उपचार प्राप्त करने पर संभावित दुष्परिणामों के संबंध में जागरूकता लाई जाए. ग्रामीण स्तर तक उपलब्ध कराई जा रही स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में व्यापक प्रचार प्रसार सुनिश्चित की जाए।
अपने नाम के साथ डॉक्टर शब्द कौन लिख सकता है
निर्देशित किया जाता है कि ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जाए। यह भी उल्लेखनीय है कि चिकित्सा शिक्षा संस्था (नियंत्रण) अधिनियम, 1973 यथा संशोधित अधिनियम, 1975 एवं संशोधन अधिनियम, 2006 की धारा 7-ग अनुसार " 'डॉक्टर' अभिधान का उस व्यक्ति के नाम के साथ उपयोग किया जा सकेगा, जो कोई मान्यता प्राप्त चिकित्सकीय अर्हता धारित करता हो और जो तत्समय प्रवृत्त विधि द्वारा स्थापित किसी बोर्ड या परिषद् या किसी अन्य संस्था में चिकित्सा व्यवसायी के रूप में रजिस्ट्रीकृत है तथा अन्य कोई व्यक्ति स्वयं को चिकित्सा व्यवसायी के रूप में अभिव्यक्त करने के लिए 'डॉक्टर' अभिधान का उपयोग नहीं करेगा"।
उपरोक्त वर्णित अधिनियम की धारा 7-ग के उल्लंघन में कारावास की कालावधि 3 वर्ष तक व जुर्माना पचास हजार रुपये तक का प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि धारा 7-ग का संबंध गैर मान्यता प्राप्त चिकित्सकों से है।म.प्र उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम, 1973 की धारा 3 का उल्लघंन, न्यायालय में दोषसिद्धी (Conviction) होने पर दण्डनीय है जिसके प्रावधान धारा 8 में वर्णित हैं।
निजी चिकित्सकीय स्थापनाओं के पंजीयन एवं अनुज्ञापनकर्ता अधिकारी जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी हैं। अतएव गैर मान्यता प्राप्त संस्थाओं, अपात्र व्यक्तियों द्वारा संचालित चिकित्सकीय स्थापनाओं का संचालन पाए जाने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा उचित विधिक कार्यवाही हेतु संबंधित जिला अभियोजन अधिकारी को प्रकरण के समस्त तथ्य तत्काल उपलब्ध कराए जाए ताकि उचित वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित हो सके।