चुनावी जमानत राशि
* भारत को पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था ठीक से चलाने के लिए सामान्यतः 5 वर्ष के अन्तराल पर चुनाव कराये जाते हैं
* चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों को चुनाव आयोग के पास कुछ जरूरी कागजात जैसे अपनी क्वालिफिकेशन, आय, वैवाहिक स्थिति आदि के बारे में डिटेल देनी होती है
* इसके अलावा चुनाव में पर्चा भरते समय कुछ रुपये भी जमा करने पड़ते हैं जिसे जमानत राशि कहते हैं
* चुनाव का पर्चा भरते समय प्रत्याशियों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34 1 (a) के अनुसार ‘संसदीय निर्वाचन क्षेत्र’ के लिए चुनाव लड़ने के लिए 25 हजार रुपये की सिक्यूरिटी राशि और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए 10 हजार रुपये की राशि जमा करनी होती है
* लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34 1(b) के अनुसार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के प्रत्याशी को इन दोनों चुनाव के लिए सिर्फ आधी राशि जमा करनी होती है
* अतः चुनाव आयोग के पास जमा की गयी इस राशि को ही चुनाव में जमानत कहा जाता है
* जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 158, में उम्मीदवारों द्वारा जमा की गई राशि के लौटाने के तरीकों के बारे में बताया गया है इन्हीं तरीकों में एक तरीका है जो यह तय करता है कि किस प्रत्याशी की जमानत राशि जब्त होगी
* दरअसल नियम यह है कि यदि किसी प्रत्याशी को किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल विधिमान्य मतों की संख्या के छठे भाग या 1/6 से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत जब्त (Forfeiture of Security Deposit) मान ली जाती है
* अर्थात इस प्रत्याशी द्वारा चुनाव आयोग के पास जो 25 हजार या 10 हजार या कोई अन्य राशि जमा की थी वह उसको वापस नहीं मिलेगी यानी जमा राशि आयोग की हो जाती है इसे प्रत्याशी की जमानत जब्त होना कहा जाता है
* उदाहरण के तौर पर जैसे किसी विधानसभा सीट पर यदि 1 लाख वोटिंग हुई तो जमानत बचाने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को छठे भाग से अधिक यानि करीब 16 हजार 666 वोटों से अधिक वोट लेनें ही होंगे
● जमानत राशि निम्न परिस्तिथियों में वापस की जाती है;
> उम्मीदवार को चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची में नहीं दिखाया गया है, अर्थात, या तो उसका नामांकन खारिज कर दिया गया था या उसके नामांकन स्वीकार किए जाने के बाद, उसने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है. या
> उम्मीदवार मतदान शुरू होने से पहले मर जाता है; या
> वह चुनाव जीत जाता है; या
> वह निर्वाचित नहीं है, लेकिन चुनाव में सभी उम्मीदवारों द्वारा मतदान किए गए कुल वैध मतों में से 1/6 से अधिक प्राप्त करता है
> यदि उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है लेकिन वह कुल वैध मतों के 1/6 मत प्राप्त नहीं कर पाता है तो भी उसकी जमानत राशि वापस कर दे जाती है
* जी हैं हमारे देश में ऐसे भी कई मामले आ चुके हैं जब व्यक्ति कुल मतों का 1/6 मत भी प्राप्त नहीं कर पाता है तो भी उसे जीता हुआ माना जाता है क्योंकि उसने सबसे अधिक वोट प्राप्त किये होते हैं
* नोट: यदि उम्मीदवार ने कुल वैध मतों की कुल संख्या का ठीक ठीक 1/6 वाँ हिस्सा प्राप्त कर लेता है तो भी जमानत जब्त मानी जाती है
* सारांशतः यह कहा जा सकता है कि चुनाव आयोग देश में साफ सुथरे चुनाव कराने की दिशा में कई कदम उठाता है इन्ही उपायों में से एक उपाय चुनाव के पूर्व जमा करायी गयी जमानत राशि होती है
* इस राशि को इसलिए जमा कराया जाता है ताकि केवल सीरियस उम्मीदवार ही चुनाव लड़ें लेकिन चुनाव आयोग का यह कदम काफी मालूम नहीं पड़ता है क्योंकि जमानत की राशि बहुत ही कम है और उम्मीदवार अपना नामांकन कर देते हैं और बाद में किसी अन्य पार्टी से पैसे ऐंठने के बाद अपना पर्चा वापस ले लेते हैं
◆ किस चुनाव में कितनों की जमानत हुई जब्त ?
* 40% उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई 1951-52 के पहले लोकसभा चुनावों में।
* 74% अपनी जमानत की जमानत जब्त हुई 1980 के चुनाव में।
* 86% ने अपनी जमानत खो दी 1991 के चुनावों में।
* 91% उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई 1996 में।
* 56% उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई 1997 में।
* 85% ने अपनी जमानत खो दी 2009 में लोकसभा चुनाव में।
* 86% की जमानत जब्त हो गई थी 2019 के चुनाव में।