कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान ? क्यों यह शब्द आजकल चर्चा में है ?

रोहिंग्या मुसलमान
* रोहिंग्या मुस्लिम प्रमुख रूप से म्यांमार के अराकान (जिसे राखिने के नाम से भी जाना जाता है) प्रांत में बसने वाले अल्पसंख्यक मुस्लिम है
* म्यांमार में करीब 800000 रोहिंग्या मुस्लिम सदियों से रह रहे हैं
* म्यांमार के लोग और म्यांमार की सरकार इन लोगों को अपना नागरिक नहीं मानती है
* बिना किसी देश के इन रोहिंग्या लोगों को म्यामांर में भीषण दमन का सामना करना पड़ रहा है
* रोहिंग्या मुसलमान बड़ी संख्या में बांग्लादेश और थाईलैंड की सीमा पर स्थित शरणार्थी शिविरों में अमानवीय स्थिति में रहने को विवश है
* कॉमन ईरा (सीई) के वर्ष 1400 के आसपास ये लोग ऐसे पहले मुस्लिम है जो वर्मा (म्यांमार) के अराकान प्रांत में आकर बस गए थे
* बहुत से लोग 1430 मे अराकान पर शासन करने वाले बौद्ध राजा नारामीखला के राज दरबार में नौकर भी थे
* अराकान म्यांमार की पश्चिमी सीमा पर है और आज के बांग्लादेश की सीमा के पास में है
* 1785 में बर्मा के बौद्ध लोगों ने अराकान पर कब्जा कर लिया और रोहिंग्या मुस्लिमों को खदेड़ दिया या हत्या कर दी
* उस समय करीब 37000 रोहिंग्या बंगाल भाग गए जो अंग्रेजों के अधिकार क्षेत्र में था
* 1824 - 1826 तक चले एंग्लो बर्मी युद्ध के बाद अराकान अंग्रेजों के नियंत्रण में आ गया और रोहिंग्या बंगाली लोगों को प्रोत्साहित किया कि वह अराकान में आकर बसे
* ब्रिटिश भारत में बड़ी संख्या में इन प्रवासियों को लेकर स्थानीय राखिन लोगों में विद्वेष की भावना पनपी जो आज तक बरकरार है
* दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान के बढ़ते दबदबे से अंग्रेजों ने अराकान छोड़ दिया और तब मुस्लिम और बौद्ध में कत्लेआम शुरु हो गई
* दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति और 1962 में जनरल नेविन के नेतृत्व में तख्तापलट की कार्रवाई के दौर में रोहिंग्या मुस्लिम ने आराकान में एक अलग रोहिंग्या देश की मांग की
* तत्कालीन बर्मी सेना ने यांगून (पूर्व में रंगून) पर कब्जा करते ही अलगाववादी और गैर राजनीतिक दोनों ही प्रकार के रोहिंग्या लोगों पर कार्रवाई की
* सैनिक शासन ने इन लोगों को नागरिकता देने से इनकार कर दिया और बिना देश वाला बंगाली घोषित कर दिया
* संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया कि रोहिंग्या दुनिया में ऐसे अल्पसंख्यक लोग हैं जिनका लगातार सबसे अधिक दमन किया गया
* बर्मा के सैनिक शासकों ने 1982 के नागरिकता कानून के आधार पर इन लोगों से नागरिकों के सारे अधिकार भी छीन लिए
* बर्मा के शासको ने इनका कई बार नरसंहार किया और इनकी बस्तियों को जलाया इनकी जमीन को हड़प्पा और मस्जिदों को बर्बाद कर इन्हें खदेड़ दिया
* इन लोगों को सेना ने बंधुआ मजदूरी बना कर रखा हत्या की यातनाएं दी और महिलाओं से बलात्कार भी किए
* म्यामार की नोबेल विजेता और प्रसिद्ध नेता आंग सांग सू की भी इन लोगों को म्यामार की नागरिक नहीं मानती
* संयुक्त राष्ट्र मानता है कि जिन स्थिति में रोहिंग्या को विस्थापित हुआ वैसा किसी अन्य कौम में नहीं हुआ