ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य के लिए दिए जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार है , आइए जानते हैं इसके बारे में

ज्ञानपीठ पुरस्कार
* ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य के लिए दिए जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार है
* ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना 1965 में हुई
* ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा दिया जाता है
* भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा पर लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है
* पुरस्कार में 11 लाख की धनराशि प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है
* 1965 में इस पुरस्कार के तहत एक लाख की राशि दी जाती थी
* 2005 में 7 लाख की गई जो अब 11 लाख की राशि दी जाती है
* साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थे जिन्हें थे 7 लाख की धनराशि दी गई
* पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को दिया गया था
* आशापूर्णा देवी ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाली पहली महिला साहित्यकार जिन्हें 1976 में दिया गया
* हिंदी का पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार सुमित्रानंदन पंत को 1968 में दिया गया था
* 1972 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिए दिया जाता था
* अब यह पुरस्कार लेखक को भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाता है
* हिंदी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक बार इस पुरस्कार को प्राप्त किए हैं
* 22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के 50वें जन्मदिन पर उनके परिवार वालों ने साहित्य के लिए एक अनोखा कार्य करने का विचार आया था
* 16 सितंबर 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्रीमती रमा जैन ने न्यास की एक गोष्ठी में इस पुरस्कार का प्रस्ताव रखा
* 2 अप्रैल 1962 को दिल्ली के एक गोष्ठी में देशभर के विद्वानों ने इस पर विचार रखा
* इस पुरस्कार के चयन की प्रक्रिया जटिल है
* जिस भाषा के साहित्यकार को एक बार पुरस्कार मिल जाता है तो अगले 3 साल तक उस पर विचार नहीं किया जाता