सावन में शिव के श्रृंगार का है बहुत महत्व, पूजा में किन बातों का रखें ध्यान व शिव पूजा में शंख बजाना क्यों है वर्जित ?

भगवान शंकर को सोमवार के दिन गंगा जल चढ़ाना चाहिए. खासतौर पर शिवजी को चंदन, अक्षत, बेलपत्र धतूरा या आक के फूल अर्पित करने से प्रभु जल्द प्रसन्न होकर कृपा बरसाते हैं. सोमवार की पूजा में शिवजी को घी, शक्कर गेहूं के आटे से बने प्रसाद का भोग लगाना शुभ होता है. इसके बाद धूप-दीप से आरती करनी चाहिए और प्रसाद सबसे पहले घर के बुजुर्ग, बच्चों और गुरुजनों के अलावा मित्रों में बांटना चाहिए.

एक मान्यता यह भी है कि सोमवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करने से भोले शंकर की विशेष कृपा बरसती है. शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाना भी लाभकारी है. जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर, भांग को एक साथ मिलाकर या बारी-बारी से शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए. शिव पुराण में भी इनसे शिवलिंग का वर्णित है.

शिवपूजा में ध्यान रखने वाली बातें

◆ कुछ खास वस्तुएं, सिर्फ शिवजी को चढ़ाई जाती हैं. वह दूसरे देवताओं को अर्पित नहीं की जाती हैं, जैसे भांग, धतूरा, आंख, बेलपत्र लेकिन शिव पूजा में कई ऐसी चीजें हैं वर्जित हैं, इनका प्रयोग नुकसानदेह हो सकता है.

◆ भगवान विष्णु को सबसे प्रिय शंख शिवजी की पूजा में प्रतिबंधित है. कहा जाता है की शिव जी ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था, तबसे शंख भगवान शिवजी की पूजा में वर्जित है.

◆ शिवजी को कनेर-कमल के अलावा कोई दूसरा लाल फूल प्रिय नहीं है. शिवजी को केतकी या केवड़े का फूल भी नहीं चढ़ाना चाहिए।

◆ नारियल के पानी से शिवलिंग का अभिषेक वर्जित माना गया है. मान्यता है कि नारियल यानी श्रीफल लक्ष्मी का स्वरूप है. सभी शुभ कार्यों में नारियल प्रसाद बांटा जाता है, लेकिन शिव पर अर्पित किए जाने के बाद नारियल पानी ग्रहण करने के योग्य नहीं बचता.

ऐसे करें शिव का श्रृंगार

पहले चावल पका लें, इसके बाद इसे ठंडा करके शिवलिंग का श्रृंगार करें और सूखे मेवे का भोग लगाएं. बेल पत्र, गुलाब आदि अर्पित कर आरती करनी चाहिए.