मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता भी मौजूद है. विशेषज्ञ भी कहते हैं कि मिट्टी के बर्तन में पानी रखा जाए तो उसमें मिट्टी के गुण अवश्य आ जाते हैं. इसलिए घड़े में रखा पानी हमें बहुत स्वस्थ बनाता है.
पानी में पीएच(ph) का संतुलन:
मिटटी के बने घड़े में क्षारीय गुण मौजूद होते हैं, घड़े का पानी पीने का एक और बेहतरीन लाभ यह भी है. क्षारीय पानी की अम्लता के साथ प्रभावित होकर, उचित पीएच संतुलन भी प्रदान है. इस पानी को पीने से एसिडिटी और पेट की कई बीमारियां आसानी से खत्म हो जाती है.
गले को ठीक रखे :
फ्रिज का पानी पीने वाले लोगों के गले में अक्सर लोगों को परेशानी हो जाती है. गर्मी से आकर पानी की तलब इस कदर ज्यादा बढ़ जाती है कि सीधे फ्रिज का ठंडा या चिल्ड पानी ही हमे दिखता है लेकिन ऐसा करना हमारे गले को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. ठंडा पानी हम पी तो लेते हैं लेकिन गले की कोशिकाओं का ताप अचानक बहुत ही ज्यादा गिर जाता है जिस कारण एलमेंटस भी उत्पन्न होते हैं. जिससे टॉन्सिल्स बढ़ने का खतरा भी बहुत बढ़ता है.
गर्भावस्था में पियें घड़े का पानी:
गर्भवती महिलाओं को फ्रिज में रखे चिल्ड वाटर को पूरी तरह अवाइड करना चाहिए क्योंकि इसका गलत प्रभाव सीधे बच्चे पर होता है जिसकी सलाह डॉक्टर देते हैं. घड़े का पानी पीना उनके लिए बहुत ही लाभकारी होता है. इनमें रखा पानी न सिर्फ उनकी सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है बल्कि पानी में मिट्टी का सौंधापन बस जाने के कारण गर्भवती को बहुत ही अलग सा मन देता है.
गर्मी की लू से बचाता है :
भीषण गर्मियों में जो लू (गर्म हवा) चलती है इससे भी घड़े का पानी हमे बचाता है. इसका पानी पीने वाले लू की चपेट में कभी नही आते. बर्फीला पानी पीने से कब्ज भी हो जाती है और अक्सर गला खराब हो जाता है. मटके का पानी बहुत अधिक ठंडा ना होने से पेट में होने वाली गैस से भी बचता है, इसका पानी संतुष्टि देता है. मटके को रंगने के लिए गेरू का इस्तेमाल होता है जो गर्मी में बहुत शीतलता देता है.
विषैले पदार्थ सोखने की शक्ति :
मिट्टी में शुद्धि करने का गुण भी मौजूद होता है यह सभी विषैले पदार्थ को सोख लेती है और पानी में सभी जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्व भी मिलाती है. इसमें पानी विल्कुल सही तापमान पर रहता है, ना बहुत अधिक ठंडा और ना ही बहुत अधिक गर्म.
कैसे ठंडा रहता है पानी:
मिट्टी के बने इस मटके में सूक्ष्म छिद्र मौजूद होते हैं. ये छिद्र इतने ज्यादा सूक्ष्म होते हैं कि इन्हें नंगी आंखों से कभी नहीं देखा जा सकता. पानी का ठंडा होना वाष्पीकरण की क्रिया पर पूरी तरह निर्भर करता है. जितना ज्यादा वाष्पीकरण होगा, उतना ही ज्यादा पानी भी अवश्य ठंडा होगा. घड़े में छोटे-छोटे छेद होते हैं जिससे मटके का पानी बाहर निकलता रहता है. गर्मी के कारण पानी वाष्प बन कर उड़ जाता है. वाष्प बनने के लिए गर्मी यह मटके के पानी से ही लेता है. इस पूरी प्रक्रिया में मटके का तापमान बहुत कम हो जाता है और पानी बहुत ठंडा रहता है।